Apr 12, 2013

जब भी जी चाहे नई दुनिया..स्वर -अल्पना


फिल्म-दाग़
संगीतकार -लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
गीतकार-साहिर लुध्यानवी.
मूल गायिका-लता मंगेशकर
प्रस्तुत गीत कवर संस्करण है -स्वर-अल्पना

जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग.

याद रहता है किसे गुज़रे ज़माने का चलन,
सर्द पड़ जाती है चाहत, हार जाती है लगन,
अब मोहब्बत भी है क्या इक तिजारत के सिवा,
हम ही नादां थे जो ओढ़ा बीती यादों का क़फ़न,
वरना जीने के लिए सब कुछ भुला लेते  हैं लोग.

जाने वो क्या लोग थे जिनको वफ़ा का पास था,
दूसरे के दिल पे क्या गुज़रेगी ये एहसास था,
अब हैं पत्थर के सनम जिनको एहसास ना गम ,
वो ज़माना अब कहाँ जो अहल-ए-दिल को रास था,
अब तो मतलब के लिए नाम-ए-वफ़ा लेते हैं लोग..

जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग...
...Difficult song....tried my best..
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Cover song.....sung by Alpana

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